Menu
blogid : 5464 postid : 44

पिता एक महान शब्द

मजेदार दुनिया
मजेदार दुनिया
  • 26 Posts
  • 176 Comments
पिता एक ऐसा शब्द है जो एक संस्कार है, आदर्श है ब्यबस्था  है सामाजिक तानेबाने की सबसे अहम् कड़ी है पिता . पिता मुखिया भी है पिता हमारे मस्तिस्क का तिलक भी है . अपने बारे मे एक सच्ची घटना आपको बताता हू.

सन १९६७ की बात है. हम तीन भाई थे पिता जी माता जी समेत पांच लोगो का परिवार था.शहर के सबसे संपन्न परिबारो में हम लोगो की गिनती होती थी.एक दिन ऐसा हुआ कि किसी बजह से हम लोगो को एकाएक ही बह शहर त्यागना पड़ा.(मै उस समय क्लास ८ में था).इस बजह  से मेरे पिता  अपने जमे हुए कामो को उसी जगह त्याग कर खाली हाध दूसरी जगह आ गए. एंब अकेले ही  एक नई जिंदगी की शुरूआत की.  हम लोगो को अपने अनुभब ब बिचारो को हमारे दिलो ब दिमागों इस तरह डाला कि आज ४४ बरसो के बाद भी हम लोग उसे भूले नहीं है आज एक बार फिर से हम लोगो के पास सब कुछ है एशो आराम का तमाम सामान बगंला गाड़िया ब परिबार में पांच की जगह इकतीस लोग है. लेकिन पिता जी, माता जी. भाई जी नहीं है.आज फादर्स डे है. फादर्स डे  मनाना एक अच्छी बात है. ख़राब बात है पिता को बिसार देना. पिता हम सबके  लिए वंदनीय है. ओंर  हमेशा वंदनीय रहे. यही तोहफा होगा उनके लिए भी शायद हमारे लिए भी.

.समय के साथ जमाना बदल गया है शायद हमारा समाज भी.बाप बेटे के बीच रिश्तो में भी वह बात
नहीं रही है शायद एकल परिबारो की बजह से या ओंर बजह रही हो. लेकिन जो सीख हम अपने बच्चो को
देते है उसका एक अंश भी अपने पिता के बारे में सोचे तो कितना अच्छा रहे.
भारतीय परंपरा में पिता परमेशवर से भी बड़े है. त्वमेव: माता च पिता त्वमेव: त्वमेब: सर्ववं मम देव देवा: इन्ही पंक्तियो के साथ अपने पिता को नमन करता हू.
मनोज जैसवाल
Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to rachna varmaCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh